Wednesday, October 12, 2011

मकान

तनहा  सा ,
सुनसान गली में खड़ा ,
एक मकान
जिसकी सीडियों से 
चड़ता अँधेरा ,
मकान को डराता
धमकाता...अँधेरा 

गलियों से जाते
हर एक मेहरबान  
को डर डर के
डराता ये मकान ..

न जाने कब किसका
घर था ..
मगर आज दूसरे की
दी हुई उधार रोशनी का  
मुहताज मकान  ..

बेचारा मूक , शांत सा
खड़ा वो मकान ....