मेरी मुहब्बत की तू न आज़माइश कर
माना तेरे साजदे में रोज़ आता नही तेरे
मंदिर में बैठकर तेरे नाम काबा का नहीं पढ़ता ,
फिर भी तुझसे मेरी रूह जुड़ी है इस बात से
तो, तू भी अंजान नहीं फिर क्यो नाराज़ है
तो बात इतनी से है
"तेरे दुनिया के हर रंग में मुझे तू मिल जाता है
हर बार इसलिए तेरे मजिस्द मुझसे रह जाता है "
बातचीत बंदे की भगवान से ... जो बड़ी मुश्किल
में है की वो खुदा को हाजरी नहीं दे पाता....