पुरष :
तेरे बालों की महक अब भी
मेरे बिस्तर में पड़ी है ...
उस रात सिमट गयी थी
जब खुद में ही तू ..
उस चद्दर की नमी
अब भी सूखी नहीं ... ....
औरत :
उस रात तेरी गर्मी में कुछ न बचा
तेरे अंगुलियों का नर्म एहसास
शब् को आज भी सवारते है
पर कमरे का सामान अब भी
बिखरा पड़ा है ...........
2 comments:
sweet...
बहुत नाज़ुक लम्हों और अहसासों को पकड़ा है आपने.कम शब्दों में बहुत दूर तक ले गयी हैं बात को.बहुत बहुत खूबसूरत
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