Kitaab
Saturday, November 1, 2014
रात की औरत
महकते,मुस्कराते चेहरे
काजल ,श्रृंगार वाली
खुद को चाँद के हवाले कर
सूरज बुला लेती है
रोज़ रात सड़को पर गंगा बहती है
फिर भी शहर बिखरे और उजड़े है
क्यो ??
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