तुम यादों के शहर में रहती हो। … गोया ,जब भी सिगरेट जलाता हो ,तुम बहुत याद आती हो ॥
उस दिन भी इतनी ही कड़ाके की सर्दी थी जब तुम इस मौसम का मिज़ाज बदलना चाहा , तुमने कहा
सिगरेट न पिया करो , उम्र मेरे साथ गुज़ारनी है सिगरेट के साथ नहीं ,,,, तुमने मेरा माथा चूमा , मेरे कान में आकर कहाँ "ये वादा उम्र भर का है सिगरेट की तरह जालकर खत्म नहीं होगा। .
सिगरेट न पिया करो , उम्र मेरे साथ गुज़ारनी है सिगरेट के साथ नहीं ,,,, तुमने मेरा माथा चूमा , मेरे कान में आकर कहाँ "ये वादा उम्र भर का है सिगरेट की तरह जालकर खत्म नहीं होगा। .
वो लम्हा , सर्दी से कांपता हुआ ,बर्फ पर ठहर गया था पिघला नहीं है आज तक , … तुम्हारा हाथ सूरज से तपिश दे रहा था और एहसास उस गर्मी का जो मेरे जीने के लिए जरूरी था
कुछ चीज़े कुछ बाते कभी नहीं भूलते ,,,,हर मोड़ पर वो साथ साथ चलती है।
आज फिर वहीं सर्द रात है और सिगरेट के बनते बिगड़ते छल्ले आसमान को गर्म करने की तलब से भाग रहे है।
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