दिन रात का सौदा
ख़त्म ही नहीं होता
दिन बिक जाता है पर
रात अपनी ही सौदागर
खरीदार बहुत है शातिर
अंधेरो की भी लूटते है
चाहे,सिक्के ने हाथ तोड़
दिया ...
ख़त्म ही नहीं होता
दिन बिक जाता है पर
रात अपनी ही सौदागर
खरीदार बहुत है शातिर
अंधेरो की भी लूटते है
चाहे,सिक्के ने हाथ तोड़
दिया ...
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