Saturday, December 1, 2012

जोगी

जोगी बन, वन वन फिरया 
न ही खुदा लाधया 
न ही माया ..
छडया घर, लभड वास्ते 
कोड़ा सोना भी गया हथ से 
पारस तो कदे मिलया ही नहीं 
आत्मा भी रोज़ धोअड़ जाता है ..
नादिया का पाडी पर मेला 
क्या धोवंगा अब 
न जाडे घडी चीजों 
पर मेल लगी है 
जो कभी धुप में सुखड डाले अंग 
तो धुप भी काली पड़ गयी 
मन खुला तो .. सब घर 
फेल गया .. ..

जोगी बेचारा ऐसा न 
घर मिलया ..
न जंगल ही ने, थले विच 
बिठाया ......

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Hindi translation ..


जोगी बन, वन वन घूमा 
न ही खुदा मिला 
न ही माया ..
छोड़ा घर, ढूढने के लिए 
झूठा सोना भी गया हथ से 

पारस तो कभी मिला ही नहीं 
आत्मा भी रोज़ धोने जाता है ..
नदी का पानी पर मेला 
क्या धोएगा अब 
न जाने कितनी चीजों 
पर मेल लगी है 
जो कभी धुप में सूखने डाले अंग 
तो धुप भी काली पड़ गयी 
मन खोला तो .. सब घर 
फेल गया .. ..

जोगी बेचारा ऐसा, न 
घर मिलया ..
न जंगल ही ने, अपने आंगन 
में बिठाया ......

Hindi translation ..

1 comment:

Shalini kaushik said...

नीलम जी बहुत सराहनीय प्रयास किया है आपने.सार्थक प्रस्तुति आभार -- [कौशल ]आत्महत्या :परिजनों की हत्या-- [कानूनी ज्ञान ] मीडिया को सुधरना होगा .