Friday, April 22, 2016

सपने में कई रंग भरे हैं

तेरी गलियो को छोड़ ,मैं अब उस जगह खड़ी हूँ,
जहाँ न तेरा दर है न कोई गली
अंधेरे का टुकड़ा,मेरी छाया को समेटे
खड़ा हैं ,
मैने हथेली पर या और खुद को समेटकर
उस पहाड़ी पर चढ रही हूँ जहाँ से
बादलो में
छुपा सूरज अंधेरे
को खाकर ,
डकार मार
आसमान मे मुस्कराकर
ठहर जाता हैं
सपने में कई रंग भरे हैं smile emoticon

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