Sunday, November 9, 2014

चाँद

पैर मिट्टी से सने
हुए , टुकड़े टुकड़े
जैसे चाँद के कई
उसके पैरो पर चढ
बैठे, भर भर पानी 
उडेल, एक पैर से दूसरे
पैर को रगड़ा ,दूसरे से
पहले को, मलाल बह ही
गया उस तेज भाव में
बारीशो में चाँद बहता
क्यो नहीं , आसमान से

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