हथेलीयो पर आसानी से
रिशते कहॉ उगते हैं
कुछ टूटते लम्हो पर कैकटस
बनते है अौर कुछ कैक्टस बन
गुजरते लम्हो से टूटते हैं
रिशते कहॉ उगते हैं
कुछ टूटते लम्हो पर कैकटस
बनते है अौर कुछ कैक्टस बन
गुजरते लम्हो से टूटते हैं
हर जलजले मे रिशता मगर
मिठा ही है शहद सा
मिठा ही है शहद सा
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रिशते जो आर पार है वो भी
बेहतर नहीं,निगाहो पर हैरानी
और खुदा पर शक की बात
होती है तब
रिशते जो आर पार है वो भी
बेहतर नहीं,निगाहो पर हैरानी
और खुदा पर शक की बात
होती है तब
आखिर खिडकीयो पर पर्दा
जरूरी हैं खुले सामान की
कोई कीमत नहीं
जरूरी हैं खुले सामान की
कोई कीमत नहीं
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