इंतज़ार वो बिखरे पल
जो चलते रहते है
चुपचाप से,या रेंगते है
जैसे चीटीयाँ अपने खाने
की तलाश में एक जगह
से दूसरी जगह जाती है
इंतज़ार के अंत का छोर
भी वहीं कहीं पड़ा होता है
सुस्ता सा पथरा रहता है
जहाँ से कोई गया था
वापस आने के लिए
या कभी ना आने के लिए
खामोश सड़के ..खामोश इंतज़ार
जो चलते रहते है
चुपचाप से,या रेंगते है
जैसे चीटीयाँ अपने खाने
की तलाश में एक जगह
से दूसरी जगह जाती है
इंतज़ार के अंत का छोर
भी वहीं कहीं पड़ा होता है
सुस्ता सा पथरा रहता है
जहाँ से कोई गया था
वापस आने के लिए
या कभी ना आने के लिए
खामोश सड़के ..खामोश इंतज़ार
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