Kitaab
Friday, October 3, 2014
क्यों कुछ कहूँ??
तुमसे कहती हूँ ,सुनो
नासमझ लोग ऐसे ही
अटकते है उन झाड़ियो में भी
जिनमे काँटे नहीं होते
तुम सब समझते हो ,पर
फिर सोचती हूँ ,क्यों कुछ कहूँ??
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