Thursday, April 11, 2013

प्यास

कोई जिस्म टटोलता है
कोई रूह को ढूंढता है
कोई भटकता है
यहाँ, वहाँ .
हज़ार दर,
हज़ार दरगाह
पूजता है ..
हज़ार सवाल का
जादू सा कोई
जवाब ढूंढता
है ..
सब खोये है
इस दौड़ में
सब उलझे है
समुंदर मंथन में
विष किसी को नहीं चाहिए
बस अमृत की प्यास है

क्यो शिवा दूसरा शिव नहीं बनाता

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