Monday, December 15, 2014

मेरा प्रेम

रेगिस्तान के बीचो बीच 
एक  टूटा  फूटा सा ,रेत  में 
गड़ा  एक मटका, जिसका
सर नहीं , पर दिल खुला है
उसमे चंद  कांसे के,चाँद से,
न चलने वाले कभी, मायूस
सिक्के पड़े है ,तुम्हारे प्रेम के

वो बीज बनकर  बिखर गए
उस रात, जब समुन्दर  करीब
आया , फिर गुलाब  बन खिल गए 

गोया  जादूगर है प्रेम  

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कुछ सिक्को के बदले
वो यूँ दुआ बुदबुदाता है
जैसे उसका बड़ा याराना
हो खुदा  से

इश्क़ में   एक तू ही अपना
बाकी सारी  दुनिया  झूठी
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 वो उम्रभर का  साथ मांगता है
मैँ उस उम्र में उम्र भर का प्यार

अपनी अपनी रिवायतें  है
निभाना जरूरी है