Saturday, May 2, 2015

मजदूर

जिस दिन और भी कई लुटेरे  आकर
इस धरती को लूट रहे होंगे
और धरती किसी खूबसूरत लड़की
की तरह अर्ध नग्न अवस्था में
अपनी अस्मत बचाने की नाकाम
कोशिश में होगी , तब
सारे मंदिर और मस्जिद
सब  ढह  चुके होंगे और
धराशायी होंगे   धर्म  के
ये थानेदार , तब पेट की
सुलगती  आग का  कोई
हल उस भगवान से लेकर
उसके ठेकेदार के पास  भी नहीं
होगा , और तब, जब जिस्म की
जलती आग के लिए किसी
मॉस की तलाश से पहले
अपना  मुंह, अपनी
ही आंतो में डालकर
उसकी आग बुझानी  होगी

तभी खारे पानी की बून्द
अजब  सी महक वाली
जहाँ  जहाँ  गिरेगी  वो
 रोटी बन ठहर जायेगी

माँ ,आज रोटी में नमक ज्यादा है
कौन मजदूर उन  खेतो से होकर गुज़रा

No comments: