जब सूरज थक चुका होगा और
टिमटिमाकर बुझ रहा होगा , तब
देखना ये जहान , मेरी चमक से
ही रोशन हो रहा होगा। ....
****************
कभी कभी दूर तक फैली
सड़के न जाने क्यों घुँघरू
सी बजती है
कोई बैल गाड़ी आ रही है
उसके गले में बंधे कई
घुँघरू बज बज कर रास्ता
माँगते हो जैसे
****************
वो सुनहरी शाम सड़क
के उस पार कच्चे रास्ते से
जब हम तुम निकलते थे
तब गाँव के सभी मंदिरो
में घंटी बजा करती थी
सब एक दूसरे के बीच
घुसकर उसको मनाते थे
****************************
सूरज अब थक गया है जल बुझ कर
सोचा अब दिया लगा दूँ , किसी
ऊंची दीवार पर तो रोशन हो सके
अँधेरा। ..
तुम , अब मेरे और मन के बीच कहाँ
एक सुनहरी रोशनी
टिमटिमाकर बुझ रहा होगा , तब
देखना ये जहान , मेरी चमक से
ही रोशन हो रहा होगा। ....
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कभी कभी दूर तक फैली
सड़के न जाने क्यों घुँघरू
सी बजती है
कोई बैल गाड़ी आ रही है
उसके गले में बंधे कई
घुँघरू बज बज कर रास्ता
माँगते हो जैसे
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वो सुनहरी शाम सड़क
के उस पार कच्चे रास्ते से
जब हम तुम निकलते थे
तब गाँव के सभी मंदिरो
में घंटी बजा करती थी
सब एक दूसरे के बीच
घुसकर उसको मनाते थे
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सूरज अब थक गया है जल बुझ कर
सोचा अब दिया लगा दूँ , किसी
ऊंची दीवार पर तो रोशन हो सके
अँधेरा। ..
तुम , अब मेरे और मन के बीच कहाँ
एक सुनहरी रोशनी