Saturday, October 5, 2013

इश्क़

मिश्री की डली
खारा पानी,  इश्क़

दिल की ठेस
औंठ की मुस्कान, इश्क़

नीम सा कड़वा
शहद सा ठहरा, इश्क़

जलती धूप
चाँदनी सा ठंडा ,इश्क़

आँख में ठहरा सागर
दिल का मीठा दरिया, इश्क़

न जाने कितनी आवाज़े
और खामोशी है, इश्क़

लम्हो में कटा
वक़्त में फँसा, इश्क़

कभी आग
कभी पानी ,इश्क़

मैं बीत चुकी
और ठहरा रहा, इश्क़

1 comment:

Neelam said...

Shukriya Sriram Ji .. Aapko bhi hardik Badhaiya